जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की संजीवनी बनेगी ‘भारत जोड़ो यात्रा’? कितना बदला माहौल

 श्रीनगर 
 कन्याकुमारी से शुरू हुई कांग्रेस की महत्वाकांक्षी 'भारत जोड़ो यात्रा' जम्मू-कश्मीर में अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। श्रीनगर में यात्रा के दौरान लोगों का जोश और यात्रा को मिली प्रतिक्रिया जम्मू-कश्मीर के लोगों की राजनीतिक दिशा तय करती है। कांग्रेस नेता इस बात का दावा करते रहे हैं कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कोई राजनीतिक यात्रा नहीं थी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने इस यात्रा का फायदा जरूर उठाया है। कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह यात्रा अहम भूमिका निभाने वाली है। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद सैकड़ों कार्यकर्ता उनकी पार्टी में शामिल हो गए जिसका नुकसान भी कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ा। इसके बाद देखने को मिला की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान् जम्मू-कश्मीर के कई नेता वापस कांग्रेस में चले गए। इससे गुलाम नबी आजाद को भी झटका लगा। 

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इसे दो भागों में बांटने के बाद यह राज्य में पहला इतना बड़ा राजनीतिक इवेंट है। जम्मू-कश्मीर में राहुल गांधी 9 जिलों में पहुंचे और वहां के लोगों से संपर्क साथा। शनिवार को पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती भी अपनी बेटी के साथ यात्रा में शामिल हुईं। उन्होंने कहा, राहुल गांधी की यात्रा जम्मू-कश्मीर में ताजा हवा की तरह आई है। बहुत दिनों के बाद लोग इतनी संख्या में घर से बाहर निकले औऱ यात्रा में शामिल हुए। यह एक बहुत ही अच्छा अनुभव था।

नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला भी यात्रा में शामिल हुए थे। उन्होंने बड़ा संदेश भी दिया की कांग्रेस भविष्य में एनसी और पीडीपी को साथ लाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। हालांकि इन दोनों ही पार्टियों में बहुत  सारे लोग गठबंधन के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि साल 2020 की तरह का गठबंधन जम्मू-कश्मीर में नहीं होना चाहिए। तब पीजीएडी ने जम्मू-कश्मीर में बहुत सारी डीडीसी सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। 

वहीं  विरोधियों को इस यात्रा में कुछ खास नजर नहीं आया। डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के सीनियर नेता उमर काकरू ने कहा, 'राहुल गांधी बड़े नेता हैं। लोग उनको देखने के लिए आते थे. जैसे कि देश का कोई भी बड़ा नेता आता है तो लोग उसे देखना चाहते हैं। इससे जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर कोई परिवर्तन नहीं होने जा रहा है। यहां कांग्रेस बस एक छोटा सा संगठन बनकर रह गया है।' 

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