जंगली जानवरों की मौतों में बिजली विभाग निभा रहा सहभागिता

 उमरिया
 उमरिया के अंतर्गत विभिन्न वन परिक्षेत्रो में आए दिन हो रही करंट से जंगली जानवरों की मौतों में जहा विभागीय अमले की नीद उड़ा रखी है तो वही जिले के बिजली विभाग के जिम्मेदार कुंभकरण की निद्रा में मस्त नजर आ रहे हैं जंगल क्षेत्र में करेंट से हो रही जानवरो की मौत से वन विभाग जितना ज़िम्मेदार माना जा रहा उतना ही जिले का बिजली विभाग भी जिम्मेदार साबित होता नजर आ रहा है।

जिले में बांधवगढ़ नेशनल  पार्क है जहा के जीव जंतु पर्यटकों के लिए सदैव से आकर्षण का केंद्र रहे है वही विभाग को एक अच्छी आय भी इन पर्यटकों से प्राप्त होती है जो स्थानीय लोगो के जीवन यापन का एक माध्यम भी है परंतु लगातार हो रहे आकर्षक  जंगली जानवरों की मौतों से वो दिन दूर नही जब विभागीय अमले के साथ साथ इस आय पर निर्भर लोगो पर भी संकट गहरा सकता है।

 बिजली विभाग की कार्य प्रणाली पर लगते सवालिया निशान??
लगातार हो रही जंगली जानवरों की मौतें बिजली विभाग की कार्य प्रणाली व अनदेखी शिकारियों के शिकार के लिए सहायक सिद्ध होती प्रतीत हो रही है

जिसके कई उदाहरण विभिन्न वन क्षेत्रों पर देखा जा सकता है
सूत्रों की माने तो लापरवाही का प्रत्यक्ष उदाहरण ऋतुवन ढाबे से मझगवा धोपती के वन परिक्षेत्र में आरएफ 240 करहरिया में बिजली विभाग  द्वारा बिजली की तारो को जमीन पर ही छोड़ दिया गया है जिससे आने वाले समय में शिकारियों द्वारा यदि शिकार के लिए करेंट फैलाया जाता है तो जंगली जानवरों के साथ साथ वन सुरक्षा गस्ति मे तैनात वन कर्मियों को भी जानलेवा साबित हो सकता है

कहा कैसे हो रही चूक?
जानकारों की माने तो बिजली विभाग खराब हुई तार और खंभों से विद्युत प्रवाह बंद तो कर देता है परंतु उस जगह से खराब खभे और वन भूमि में झूलती नंगी तारो को नही  हटाया जाता जो वन भूमि में विचरण कर रहे जानवरो के लिए घातक साबित हो रहे है वही शिकारी द्वारा कटिया और अन्य जुगाड से बंद पड़ी लाइन को चालू कर बेखौफ जंगली जानवरों को अपना शिकार बना रहे है।

विभागीय पत्रों पर बिजली विभाग नही दे रहा ध्यान
वन विभाग द्वारा बिजली विभाग को वन्य जीवों की मृत्यु पर पत्राचार भी किया जा रहा है परंतु उन पत्रों पर कोई भी अमल नहीं किया गया जिससे वन भूमि में शिकारी आसानी से बंद लाइनों में करेंट दौड़ा जंगली जानवरों की मौत का कारण बन रहे है वर्ष 2012=13 में करेंट से क्रमश 66 एवम् 90 वन्य जीवों की मृत्यु हुई वही वर्ष 2014 में 7 जीव करेंट से मौत होना बताया गया इसके बाद भी वन्य जीवों के मौत का सिलसिला जारी है

वही संवेदनशील वन क्षेत्रों में जहा विद्युत करेंट से दुर्घटनाएं होती है उन क्षेत्रों में अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर लगाए जाने हेतु वन विभाग ने बिजली विभाग को कहा था वर्ष 2014 में दिया गया पत्र इसका साफ उदाहरण है

ईएलसीबी का नहीं हो रह उपयोग???
 Eclb एक प्रकार का सुरक्षा उपकरण है जिसका उपयोग झटके से बचने के लिए उच्च पृथ्वी प्रतिबाधा वाले विद्युत उपकरण को स्थापित करने के लिए किया जाता है ये उपकरण धातु के बाडो पर विद्युत उपकरण के छोटे आवारा वोल्टेज की पहचान करते हैं और खतरनाक वोल्टेज की पहचान होने पर सर्किट में घुसपैठ कर देते हैं अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर का मुख्य उद्देश्य बिजली के झटके से मनुष्य और जानवरों को होने वाले नुकसान को रोकना है एक ईएलसीबी एक विशिष्ट प्रकार का लंचिंग रिले है

परंतु शायद विभाग इस और भी अज्ञान बना हुआ है
जबकि नियम की बात करे तो प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव हैं उसकी रक्षा करना,उसका संवर्धन करना तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखे जाने की बाते निहित है। परंतु नियमो और कर्तब्यो के विपरीत कार्यप्रणाली चलती दिखाई पड़ रही है

इनका कहना
पत्राचार के माध्यम से संबंधित विभाग को अवगत कराया गया है परंतु परिक्षेत्रों में अभी भी कई जगह खंभे और खराब तारे फैली हुई हैं

मोहित सूद वनमंडलाधिकारी उमरिया
संबंधित मामले में जब बिजली विभाग के अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही गई तो उनसे संपर्क नही हो पाया

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