पीएम विद्यालय मनेरी में शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह

पीएम विद्यालय मनेरी में शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह

बेफिक्री से आते हैं विद्यालय शिक्षक, हो रही है विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित

मंडला
आदिम जाति एवं जनजाति कार्य विभाग मंडला में एक चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है, सूत्रों  की   जानकारी अनुसार  विकास खंड निवास अंतर्गत पीएम विद्यालय मनेरी में शिक्षक और प्राचार्य अक्सर विद्यालय नही आते हैं। उनकी नदारती के कारण विद्यार्थियों की शिक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। प्राचार्य बीपी दुबे की लगातार अनुपस्थिति ने न केवल विद्यालय के कार्यप्रणाली को बाधित किया है, बल्कि शिक्षा के मानक को भी गिरा दिया है।

प्राचार्य की अनुपस्थिति और शिक्षकों की बेफिक्री-

मनेरी संकुल के प्रभारी प्राचार्य बीपी दुबे अक्सर विद्यालय से गायब रहते हैं। ना तो वे मनेरी आते हैं और ना ही अपने मूल विद्यालय, हायर सेकेंडरी गडरा में। उनकी अनुपस्थिति का परिणाम यह है कि अन्य शिक्षक भी अनुशासनहीनता का परिचय देते हुए मनमर्जी से छुट्टियां लेते हैं और बाद में उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर कर देते हैं। ऐसे में, पीएम विद्यालय में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा का सवाल उठता है।

पीएम क्रियाकलापों का अभाव-

सरकार द्वारा पीएम विद्यालयों के लिए भेजे गए फंड का उचित उपयोग नहीं हो रहा है। मनेरी में पीएम के तहत अपेक्षित गतिविधियों जैसे स्वच्छ रूम, लाइब्रेरी, काउंसलिंग कक्ष, वोकेशनल लैब, स्पोर्ट्स रूम, और शैक्षणिक भ्रमण का कोई क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि विद्यालय का पीएम बोर्ड भी नहीं लगा है, जिससे स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारियों की मॉनिटरिंग कितनी लापरवाह है।

विद्यार्थियों की शिक्षा पर पड़ता असर-

प्राचार्य की अनुपस्थिति और विद्यालय के सही निरीक्षण का न होना विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। गरीब और मासूम विद्यार्थी शिक्षा की गुणवत्ता से अनभिज्ञ हैं। उनके माता-पिता जो आशा के साथ अपने बच्चों को विद्यालय भेजते हैं, क्या वे जानते हैं कि शिक्षक उनकी उम्मीदों पर कितने खरे उतर रहे हैं? यह सवाल आज की आवश्यकता है। यदि नियमित शिक्षकों का एक दिन का वेतन रोक लिया जाए, तो शिक्षक आंदोलन पर उतर आते हैं, लेकिन क्या उन्होंने कभी यह सोचा है कि वे विद्यार्थियों को किस प्रकार की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं?

कार्रवाई की आवश्यकता-

यह स्पष्ट है कि प्राचार्य की नदारती और शिक्षकों की लापरवाही के कारण शिक्षा की गुणवत्ता गिरती जा रही है। विभाग को इस स्थिति का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और शिक्षकों तथा अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए। क्या अब समय नहीं आ गया है कि शिक्षक अपनी उपयोगिता और जिम्मेदारी को समझें? क्या यह उचित नहीं होगा कि विभाग शिक्षकों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करे और उनके कर्तव्यों को सख्ती से लागू करे?

     मनेरी संकुल के पीएम विद्यालय में जो स्थिति उत्पन्न हुई है, वह न केवल विद्यार्थियों के भविष्य के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह सरकार की शिक्षा नीतियों पर भी सवाल उठाता है। अब समय आ गया है कि सभी संबंधित पक्ष मिलकर इस समस्या का समाधान करें और सुनिश्चित करें कि विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिले, जो उन्हें उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसरित कर सके। सरकार और विभाग को अपने दावों को वास्तविकता में बदलने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

       जन चर्चा है कि कलेक्टर मंडला पीएम विद्यालयों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विगत दिवस कलेक्टर मंडला ने पीएम केंद्रीय विद्यालय मंडला का अवलोकन किया था तथा आवश्यक निर्देश भी दिए थे।
चूंकि मनेरी जिला मंडला के अंतिम छोर पर स्थित है। जिस कारण अधिकारियों का यहां आना जाना कम ही होता है। पर देर सबेर कलेक्टर महोदय विद्यालय का निरीक्षण जरूर करेंगे तब हकीकत सामने आएगी। उसके बाद देखना है कि दोषी अधिकारी- कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होती है और बच्चों के हित में क्या कदम उठाए जाते हैं।

इनका कहना है –

मनेरी संकुल प्राचार्य हमेशा अधिकांश छुट्टी मे रहते है कभी कभार स्कूल आते हैं,साथ ही स्कूल के लिए अपने  कर्तव्य का पालन नही कर रहे जिससे पीएम दर्जा प्राप्त विद्यालय आज लापरवाही की सुर्खियों मे है, और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। क्षेत्रीय लोगों की मांग है यहां दूसरे प्राचार्य की नियुक्ति की जाये।

नारायण धुमकेती
सरपंच
ग्राम पंचायत मनेरी, जनपद पंचायत निवास

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