दिवालिएपन की हालत में भी जंग से मोहभंग नहीं.. पाकिस्तान ने 13% बढ़ाया रक्षा बजट, जानें कहां, कितना करेगा खर्च?

पाकिस्तान
पाकिस्तान में शुक्रवार को देश का बजट पेश किया गया है और रिपोर्ट है, कि शहबाज सरकार के बजट से इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड यानि आईएमएफ खुश नहीं है, लिहाजा अब पूरी संभावना है, कि पाकिस्तान इस महीने डिफॉल्ट कर जाएगा। लेकिन, खस्ता हालातों के बावजूद भी पाकिस्तान का जंग से मोहभंग नहीं हुआ है और शहबाज के वित्त मंत्री इशाक डार ने देश के रक्षा बजट में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है।

पाकिस्तान की जेल से छूटे भारतीय मछुआरों का गुजरात में हुआ स्वागत रक्षा बजट का ब्रेकडाउन पाकिस्तान सरकार की तरफ से जो देश का रक्षा बजट पेश किया गया है, वो उसकी कुल जीडीपी का 1.7 प्रतिशत है, जबकि अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जो अपने खर्च का लक्ष्य रखा है, उसका 12.5 प्रतिशत है। पिछले साल रक्षा मामलों और सेवाओं के लिए पाकिस्तान ने 1.57 ट्रिलियन रुपये आवंटित किए गए थे, जिसे बाद में संशोधित कर 1.59 ट्रिलियन रुपये कर दिया गया था।

 लेकिन, अब अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जो पाकिस्तान सरकार ने बजट पेश किया है, उसका ब्रेकडाउन करने से पता चलता है, कि सेना को, हमेशा की तरह, कुल बजट का 824.6 अरब रुपये का बड़ा हिस्सा मिला है। इसके बाद पाकिस्तान वायु सेना को 368.5 अरब रुपये और पाकिस्तान नौसेना को 188.2 अरब रुपये देने का प्रस्ताव रखा गया है। (ये आंकड़े पाकिस्तानी रुपये में है) इसी तरह, रक्षा बजट में रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के पेंशन में 26 प्रतिशत का इजाफा किया गया है और पेंशन के लिए 563 अरब रुपये जारी करने का प्रस्ताव रखा गया है, जबकि मौजूदा वित्तवर्ष के लिए ये आंकड़ा 446 अरब रुपये था।

सेना की पेंशन, हालांकि, रक्षा सेवाओं के लिए बने बजट में शामिल नहीं है, जबकि अन्य रक्षा संबंधी खरीद और रणनीतिक कार्यक्रम बजट में शामिल नहीं हैं, जिसमें रणनीतिक परमाणु शस्त्रागार के लिए बजट भी शामिल है। सेना की पेंशन, हालांकि, रक्षा सेवाओं के लिए बने बजट में शामिल नहीं है, जबकि अन्य रक्षा संबंधी खरीद और रणनीतिक कार्यक्रम भी बजट में शामिल नहीं हैं, जिसमें रणनीतिक परमाणु शस्त्रागार के लिए बजट भी शामिल है। रक्षा बजट के विवरण के अनुसार, डिफेंस एडमिनिस्ट्रेशन के लिए 5.4 अरब रुपये, कर्मचारियों से संबंधित खर्चों के लिए 705 अरब रुपये, ऑपरेटिंग व्यय के लिए 442 अरब रुपये, भौतिक संपत्तियों के लिए 461 अरब रुपये और सिविल कार्यों के लिए 195 अरब रुपये आवंटित किए गए हैं।

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