सुप्रीम कोर्ट में फिर करनी होगी नियुक्ति, अगले 6 महीने में रिटायर हो जाएंगे 7 जज

नई दिल्ली

देश की सर्वोच्च अदालत में इस समय जजों की संख्या 34 हो गई है लेकिन आपने वाले छह माह में सुप्रीम कोर्ट के सात जज सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद रिक्तियां फिर से पैदा हो जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट में जज की स्वीकृत संख्या मुख्य न्यायाधीश मिलाकर 34 हैं। जज के सेवानिवृत्त होने का सिलिसला मई में शुरू होगा जब जस्टिस एमआर शाह और दिनेश महेश्वरी सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद जून में जस्टिस केएम जोसेफ और अजय रस्तोगी की सेवानिवृत्ति होगी। जुलाई में जस्टिस कृष्णमुरारी अवकाश ग्रहण करेंगे उसके बाद सितंबर में जस्टिस रामसुब्रहमण्यम और अक्तूबर में जस्टिस रविंद्र भट्ट का अवकाश होगा।

सुप्रीम कोर्ट में रिक्तियां भरना आसान
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में रिक्तियों को भरना तुलनात्मक रूप से आसान है क्योंकि इसके लिए फीडर कैडर सामान्यतया हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का होता है। उनके बारे में कोई विवाद नहीं होता और मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट में पांच वरिष्ठतम जजों का कॉलेजियम सीधे उनके नामों के लिए सिफारिशें कर सरकार को भेजता है।

हाईकोर्ट में भर्ती प्रक्रिया जटिल
हाईकोर्ट में जजों की भर्ती का प्रक्रिया थोड़ी दुरुह होती है। हाईकोर्ट में 25 फीसदी पद जिला न्यायपालिका से प्रमोशन के आधार पर से भरे जाते हैं और शेष पद बार से सीधे रखे जाते हैं। वकीलों और जिला जज को प्रमोट करने के लिए पहले हाईकोर्ट का तीन जजों का कॉलेजियम उनके नाम प्रस्तावित करता है। उनके नामों पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल की टिप्पणियां ली जाती हैं। इसके बाद वह नाम सीधे केंद्र सरकार को भेजे जाते हैं। केंद्र सरकार इन नामों की खुफिया जांच करती है और अपनी रिपोर्ट के साथ उसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजती है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट की रिपोर्ट देखता है और सुप्रीम कोर्ट में संबद्ध राज्य के जज, जिसे कंसल्टिंग जज कहा जाता है, से सलाह करता है। कुछ आपत्ति नहीं होने पर नाम केंद्र सरकार को नियुक्ति वारंट जारी करने के लिए भेज दिए जाते हैं। देश के 25 हाईकोर्ट में इस समय जज की लगभग 333 रिक्तियां हैं। हाईकोर्ट में जज की स्वीकृत संख्या 1108 है।

निचली न्यायपालिका में रिक्तियां पांच हजार से ज्यादा
यही स्थिति निचली न्यायपालिका में है। यहां जज के कुल पद 25129 हैं लेकिन रिक्तियां पांच हजार से ज्यादा हैं। इन रिक्तियों को हाईकोर्ट मुख्यमंत्री के परामर्श से भरता है और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं होती। भर्ती के लिए संबद्ध हाईकोर्ट ही प्रतियोगी परीक्षाएं करवाता है और इंटरव्यू आयोजित करता है। कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। पदों को भरना पूरी तरह से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है।

 

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