दिल्ली में खाकी ने टूटने से बचाए 600 परिवार, पति-पत्नी की तकरार ख़त्म कर कराया समझौता

बल्लभगढ़
 बिखरे परिवारों को पुन: बसाकर उनके घरों में खुशियां लौटाना ही पहली प्राथमिकता है। जो भी महिला घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना व अन्य किसी फरियाद को लेकर महिला थाने में आती है तो उनकी बात को पूरी गंभीरता से सुना जाता है।

पुलिस ने एक साल में 600 परिवारों को टूटने से बचाया

दोनों परिवारों को बुलाकर परिवार बिखराव से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत करवाकर उनका सफलतापूर्वक घर बसाने का हरगिज प्रयास किया जाता है। ये कहना है बल्लभगढ़ महिला थाने की इंस्पेक्टर इंदूबाला का। उन्होंने बताया कि एक साल के कार्यकाल में उन्होंने 600 परिवारों को टूटने से बचाया है।

इंस्पेक्टर के अनुसार अक्सर देखा गया है कि पति-पत्नी आर्थिक तंगी व नशे को लेकर या फिर सास बहू के आपसी मतभेद, गृह क्लेश से मामला इतना गंभीर हो जाता है कि परिवार टूटने की नौबत आ जाती है।

महिला इंस्पेक्टर इंदूबाला ने बताया कि जो भी महिला उनके पास फरियाद लेकर आती है, तो दोनों पक्षों को बार-बार काउंसलिंग करवाकर उनका घर बसाकर पुनः खुशियां लौटाने का भरसक प्रयत्न किया जाता है ताकि किसी का परिवार न टूटे। इंस्पेक्टर ने बताया कि महिला पुलिस महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है।

20 वर्ष बाद टूटने के कगार पर पहुंची शादी

जिले की कोई भी महिला पुलिस सुरक्षा के लिए महिला हेल्पलाइन 1091 पर किसी भी समय संपर्क कर सकती है। पलवल के रहने वाले एक परिवार का विवाद शादी के 20 वर्ष बाद टूटने के कगार पर पहुंच गया। महिला बल्लभगढ़ की रहने वाली थी और वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगी हुई है।

उसका और उसके पति का विवाद बहुत बढ़ गया। ससुर कंस्ट्रक्शन के ठेके लेता है। इस विवाद में न तो पति झुकने को तैयार था और न ही पत्नी। बच्चे भी अपनी मां से उल्टे-सीधे बोलते थे। ये विवाद काफी जटिल बना हुआ था। चार बार पति और पत्नी साथ को साथ बैठा कर समझाया। फिर उनके बीच समझौता हो गया।

मायके वाले ससुराल में करते थे ज्यादा हस्तक्षेप

इंदूबाला ने बताया कि ऐसा ही एक मामले में नोएड़ा की बेटी थी, जिसकी शादी बल्लभगढ़ में हुई थी। वह विधवा थी। उसके बच्चों की और उसकी देख-रेख ससुर करता था। मायके वाले विधवा होने के कारण ससुराल में ज्यादा हस्तक्षेप करते थे। ऐसी स्थिति में ससुर और बहू में तनाव हो गया। शिकायत उनके यहां तक पहुंच गई।

उन्होंने मायके वालों को समझाया कि वे बेटी के मामले में ज्यादा हस्तक्षेप न करें। ससुर को भी बार-बार समझाया और मामला निबट गया। अब परिवार शांति से रहता है। एक मामले में पति अपनी बड़ी साली की बेटी को भगाकर ले गया।

इससे पत्नी अपने बच्चों को लेकर मायके में रहने लगी। ससुर को बुलाया और उसके बेटे के नाम जमीन कराई। ससुर फिर अपनी बहू और पोते-पोती को लेकर गया। अब उनका परिवार पूरी तरह से खुशी रहता है।

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